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Lakshya Sen: अंत नहीं शुरुआत हैं “लक्ष्य”।

Lakshya Sen

यह सोचना की Lakshya Sen इतना पास आकर भी मेडल से चूक गए और शायद अब उन्हें यह मौका दोबारा मिले न मिले, बिलकुल गलत होगा। पेरिस ओलिंपिक 2024 में लक्ष्य भले मैडल न जीत पाए हो लेकिन फिर भी बहुत कुछ जीत कर जा रहे हैं।

अब आप मुझे ही ले लीजिये, Lakshya Sen के सेमीफइनल मैच में और कांस्य पदक वाले मैच में, मैं उतना ही परेशान और चिंतित था जितना की इस साल के टी20 वर्ल्ड कप फाइनल में। और अगर आप ये ब्लॉग पढ़ रहे हैं तो पक्का हैं की आपकी हालत भी ऐसी ही थी। हार्टबीट का ऊपर नीचे जाना पुरे एक से डेढ़ घंटे लगा रहा। ली जी जिआ के खिलाफ अपना पहला सेट आसानी से जीत लेने के बाद लगा अब तो कांस्य आ ही जायेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

Lakshya Sen का Olympic debut:

Lakshya Sen का यह पहला ओलिंपिक था, इस ओलिंपिक में भाग लेने से पहले लक्ष्य की वर्ल्ड रैंकिंग 22 थी। लेकिन लक्ष्य के उम्दा खेल से ऐसा कही से नहीं लगा की वह 22वी वरीयता के खिलाडी हो। उन्होंने अपने से कम रैंक वाले खिलाड़ियों को कड़ी टक्कर दी और कुछ को तो हराया भी।

Lakshya sen का सफर :

केविन कॉर्डोंन के नाम वापिस ले लेने के बाद लक्ष्य के ऊपर दबाव था अपना आखिरी ग्रुप मैच वर्ल्ड नंबर 3 जोनतन क्रिस्टी से हर हाल में जीतने का। क्रिस्टी से जीतने के बाद ही Lakshya Sen राउंड ऑफ़ 16 में जगह बना पाते। लेकिन लक्ष्य का लक्ष्य एकदम सटीक था। वह दबाव में बिखरे नहीं बल्कि निखरे और ऐसा निखरे कि वर्ल्ड नंबर 3 क्रिस्टी को एक भी सेट जीतने नहीं दिया और 2 ही सेटो में क्रिस्टी का काम तमाम कर दिया।

राउंड ऑफ़ 16 में लक्ष्य को अपने ही वतन के और उनके सीनियर H.S. Pranoy को हराना था। प्रनॉय वर्ल्ड रैंकिंग में 13वे स्थान पर हैं। यहाँ भी लक्ष्य ने अपने से ऊपर के वरीयता प्राप्त खिलाड़ी को 2 ही सेटो में हरा दिया और क्वार्टरफाइनल में जगह पक्की कर ली।

ओलंपिक्स के इतिहास में इससे पहले सिर्फ पारुपल्ली कश्यप और किदाम्बी श्रीकांत ही 2 पुरुष शटलर हैं जो बैडमिंटन के पुरुष वर्ग में क्वार्टरफाइनल तक पहुंचे थे। लक्ष्य ऐसा करने वाले तीसरे भारतीय शटलर बने। लेकिन लक्ष्य इतने से खुश होने वालो में से नहीं थे। उनका अगला टारगेट सेमीफाइनल की वो बर्थ थी जहा तक आज तक कोई पुरुष शटलर नहीं पंहुचा।

क्वार्टरफाइनल में लक्ष्य का सामना वर्ल्ड नंबर 12 चाइनीज़ ताइपे के चाऊ टीएन चेन से था। पहला सेट हारने के बाद लक्ष्य ने अगले दोनों सेट जीते और सेमीफाइनल में जगह बनाकर पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। इस मैच में लक्ष्य ने पहला सेट हारने के बाद जो वापसी की वह काबिले तारीफ़ थी।

सेमीफाइनल में डेनमार्क के वर्ल्ड नंबर 2 विक्टर एक्सेलसेन उनका इंतजार कर रहे थे। इससे पहले लक्ष्य वर्ल्ड नंबर 3 क्रिस्टी को हरा चुके थे तो उम्मीद थी कि शायद यहाँ भी कुछ कमाल होगा। पहले सेट में लक्ष्य ने विक्टर को कड़ी टक्कर दी पर मैच विक्टर के फेवर में 22-20 से गया।

इस सेट में लक्ष्य ने जो गेम दिखाया उसकी सराहना मैच खतम होने के बाद खुद विक्टर ने की। उन्होंने कहा कि “लक्ष्य बहुत ही मुश्किल विरोधियो में से एक रहे और इस बार न सही लेकिन अगले ओलंपिक्स में लक्ष्य गोल्ड के प्रबल दावेदारों में से एक होंगे”

Lakshya Sen अंत नहीं शुरुआत हैं:

लक्ष्य यह मैच जरूर हार गए लेकिन बैडमिंटन की दुनिया में अपने नाम का एलान कर गए हैं। एक 22वी वरीयता का खिलाडी एक ऐसे देश से जहा कभी कोई पुरुष शटलर ओलिंपिक के सेमीफाइनल तक भी न गया हो, अपने ओलिंपिक का डेब्यू करता हैं और इतना आगे आ जाता हैं की लोग अपनी स्क्रीन्स पर चिपक कर बस उसी को देख रहे हैं, उसकी जीत की दुआ कर रहे हैं।
भले इस बार कोई मैडल लक्ष्य को न मिला हो लेकिन इतना अनुभव जरूर मिला हैं की अगली बार लॉस एंजेलिस में उसका लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ गोल्ड होगा।

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