Rahul Dravid and 2007:
वेस्टइंडीज में Rahul Dravid की अगुआई में खेला गया 2007 का 50 ओवर क्रिकेट वर्ल्ड कप तो सभी को याद होगा, जिसकी शर्मनाक हार आज तक हर भारतीय को चुभती हैं। लेकिन वो हार सबसे ज्यादा अगर किसी को चुभी थी तो वो शायद Rahul Dravid ही थे। वह टीम के कप्तान थे। श्रीलंका और बांग्लादेश के हांथो हार कर ग्रुप स्टेज से ही बाहर हो जाने का गम कोई नहीं भुला था। ग्रुप बी में मौजूद टीम सिर्फ बरमूडा को हरा पायी और सिर्फ 1 जीत के साथ टूर्नामेंट से बाहर हो गयी। पूरी टीम की देश भर आलोचना हुई। कोच और कप्तान पर सवाल उठे। Rahul Dravid ने कप्तानी से इस्तीफ़ा दे दिया। उसके बाद Rahul Dravid का टीम से अंदर बाहर होना लगा रहा। उन्होंने अपना आखिरी One Day मैच इंग्लैंड के खिलाफ 16 सितम्बर 2011 को खेला। हालांकि इससे पहले 2011 में ही महेंद्र सिंह धोनी की अगुआई में खेले गए वर्ल्ड कप में उनको जगह नहीं मिली थी।
2007 की हार की टीस उस वक्त उस टीम के कई खिलाड़ियों के मन में थी, जिनमे से कुछ खिलाड़ियों ने उसी साल 2007 का टी20 विश्व कप जीत कर मिटाई तो कुछ ने 2011 का वन डे वर्ल्ड कप जीत कर। भारतीय फैंस भी 2 वर्ल्ड कप और फिर 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी जीत कर उस गम को लगभग भूल ही गए। मगर एक खिलाडी ऐसा भी था जिसके जहन में अभी तक वो यादे ताजा थी और उसे भुलाने के लिए दरकार थी एक ट्रॉफी की , एक ICC ट्रॉफी की।
Rahul Dravid and 2024:
जब महेंद्र सिंह धोनी ICC ख़िताब जीत रहे थे, Rahul Dravid ने फैसला किया की वह नयी पौध को तराशेंगे और उन्होंने पूरा ध्यान इंडिया के लिए नए खिलाड़ियों को परिपक्व करने में लगा दिया। ऋषभ पंत, शुभमन गिल, पृथ्वी शॉ, ईशान किशन, संजू सेमसन और ऐसे कई नाम हैं जिन पर Rahul Dravid का पूरा ध्यान था और वे लगातार इन खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देते और इनकी स्किल्स को निखारते।
फिर वक्त आया नवंबर 2021, इससे पहले भारत 2019 का One Day वर्ल्ड कप और पहला WTC फाइनल हार चुका था। ये दोनों ही हार में NewZealand सामने था। इसके अलावा 2021 का टी 20 विश्व कप भी हम हार चुके थे।
राहुल द्रविड़ को भारत का कोच नियुक्त किया जाता हैं। पर ये भी कहा आसान होने वाला था। 2022 का टी 20 वर्ल्ड, 2023 का WTC फाइनल और फिर 2023 में ही ODI World Cup का फाइनल। एक बार फिर भारत फाइनल और सेमीफइनल में हारता नजर आया और लगा की Rahul Dravid टीम में वह इम्पैक्ट नहीं डाल पा रहे हैं जिसकी उनसे उम्मीद थी। 2023 का वर्ल्ड कप फाइनल हारने के बाद लगा की अब द्रविड़ का पद से हटना तय हैं, मगर BCCI ने Rahul Dravid को एक मौका और दिया 2024 टी 20 विश्व कप के रूप में। यह वर्ल्ड कप वेस्टइंडीज में खेला जाना था। वही वेस्टइंडीज जहा की शर्मनाक हार वह अभी तक भुला नहीं पाए थे। खुदा भी अजीब खेल खेलता हैं, जहा से शुरुआत हुई सब वही ख़तम होना था। Rahul Dravid कहे ना कहे पर टीम में मौजूद हर खिलाडी जानता था की यह वर्ल्ड कप उनसे या किसी भारतीय फैन से ज्यादा उनके कोच के लिए जरुरी हैं। उन्हें वह इज्ज़त बख्शना जिसके वह हक़दार रहे हैं। ये कप जीत कर उन्हें वो सम्मान देना जो कभी धोनी और उनकी टीम ने सचिन को दिया था। ये Rahul Dravid के लिए आखिरी मौका था 2007 के उस वक्त को भुलाने का जिसे शायद हम सब तो भूल गए लेकिन वह नहीं भूले थे। Rahul Dravid भारत के लिए हमेशा से एक दीवार की तरह खड़े रहे, भारत के लिए जरुरत पड़ने पर कीपिंग करना हो या कप्तानी, वह कभी पीछे नहीं हटे। इसीलिए तो उनको The Wall कहा जाता हैं। हम कहते हैं सचिन के 100 शतक हमें याद हैं, कोहली के रन चेज़ याद हैं, धोनी की ट्रॉफीज याद हैं, गांगुली की कप्तानी याद हैं, लक्ष्मण के 281 याद हैं, रोहित के 264 याद हैं, वीरू के 319 याद हैं, कुंबले के 10 विकेट याद हैं, इन सभी यादो में अक्सर हम द्रविड़ की वो एडिलेड की पारी भूल जाते हैं, उनकी कप्तानी में टेस्ट की विनिंग स्ट्रीक भूल जाते हैं, 2003 वर्ल्ड कप फाइनल की 49 रनो की पारी भूल जाते हैं, उनके डेब्यू की 95 रनो की पारी भूल जाते हैं, विकेटकीपर ना होने पर उनकी विकेटकीपिंग भूल जाते हैं और शायद आने वाले समय में भी कुछ न बदले और हम यह वर्ल्ड कप भी भूल जाए और इसे रोहित-कोहली के वर्ल्ड कप के रूप में ही याद रखे। लेकिन शायद द्रविड़ नहीं भूलेंगे, और भूलना भी नहीं चाहिए। एक कोच के तौर पर पहली बार हैं जब कोई भारतीय कोई ICC खिताब जीता हो। अगर भूलना ही हैं तो Rahul Dravid को अब 2007 का वो वर्ल्ड कप। और याद रखना चाहिए 29 जून की रात 11:15 का वह समय। बस जो हैं यही हैं। जय हिन्द।