Site icon The Writing Moon

Why Indian youth hate their job ?(हिंदी)

Why Indian youth hate their job

Why Indian youth hate their job ?

एक स्टडी के अनुसार भारत में लगभग 70 प्रतिशत लोग ऐसे है जो अपनी जॉब पसंद नहीं करते और उसे छोड़ना भी चाहते लेकिन अलग अलग कारणों की वजह से ऐसा कर नहीं सकते। तो आखिर वो क्या वजहें हो सकती हैं जिसकी वजह से लोग अपनी जॉब से इतनी नफरत करते हैं, आइये कोशिश करते हैं जानने कि, Why Indian youth hate their job ? –

 

1. Social Media addiction:

सोशल मीडिया एक बहुत बड़ा कारण हो सकता हैं किसी की भी लाइफ को affect करने में। आजकल के युवाओ को रील्स देखने और बनाने की बहुत बुरी आदत लग चुकी हैं, यदि आपके पास फ़ोन हैं तो 100 प्रतिशत चांस हैं कि या तो आप अपना ज्यादातर समय रील्स बनाने में लगा रहे हो या फिर देखने में।

15 से 30 सेकंड के उन रील्स को स्क्रॉल करते करते कब आप अपने 2 से 3 घंटे बर्बाद कर दोगे, आपको पता भी नहीं चलता। आप इन रील्स को जितना देखेंगे उतना आपका मन करेगा इसे और देखने का।


इन रील्स में या वीडियोस में कई बार आप ऐसी वीडियोस भी देखते हैं जहा कोई पर्सन कही घूम रहा है, कही दोस्तों के साथ कोई पार्टी कर रहा हैं, कोई रोड ट्रिप पर हैं तो कोई देश विदेश में नयी नयी जगह एक्स्प्लोर कर रहा हैं, और फिर आप महसूस करते हैं की वह अपनी लाइफ कितनी एन्जॉय कर रहा हैं और आपको अभी जॉब पर जाना हैं। यह एक ऐसी भावना हैं जो आपको आपकी जॉब से नफरत करवाती हैं, आप सोचते हैं ये जिंदगी भी कोई जिंदगी हैं , रोज उठो और जॉब पे चले जाओ।

इसके अलावा भी फ़ोन में ऐसी कई और चीजे भी होती हैं जो आप हमेशा चेक करते रहना चाहते हो , आपको इसकी ऐसी लत लग जाती हैं की आपको जॉब में भी बस यही लगता हैं की थोड़ा सा मोबाइल चेक कर लू, अरे कही किसी का मैसेज तो नहीं आया, कोई नयी अपडेट तो नहीं आयी, किसी मूवी का ट्रेलर तो नहीं आया या मेरे favourite चैनल की कोई नयी वीडियो तो नहीं आयी। इन्ही आदतों की वजह से आपका मन आपके काम पर कम और मोबाइल में ज्यादा रहता हैं।

2. Salary कम, काम ज्यादा :

भारत में एक बहुत ही कॉमन फैक्टर हैं जो हर प्राइवेट कम्पिनियो और सरकारी संस्थाओ में होता हैं और वह हैं 2 या 3 कर्मचारियों का काम एक ही कर्मचारी से करवाना। मतलब जिस काम के लिए किसी कंपनी या आर्गेनाईजेशन में 2 या 3 लोग होने चाहिए वहा पर वह काम सिर्फ एक कर्मचारी से करवाया जाता हैं जिससे कि कंपनी को 3 कर्मचारियों की salary की जगह 1 ही कर्मचारी को salary देनी पड़े और बाकि 2 का पैसा बच जाए।

सुनने में यह किसी बड़ी कंपनी के लिए छोटा अमाउंट लगता हैं लेकिन आप खुद सोचिये, कंपनी या किसी भी आर्गेनाईजेशन में सिर्फ 2 या 3 कर्मचारी ही काम नहीं करते बल्कि यहाँ संख्या हज़ारो में होती हैं ऐसे में एक कंपनी कितना सेविंग कर लेती हैं आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं। और यही से कर्मचारी का काम करने से मन उठने लगता हैं।

जब आप 8 से 9 घंटे लगातार बिना रुके काम करते रहेंगे तो ऐसा वक्त जरूर आएगा जब आप अपने काम से ही नफरत करने लगोगे और कही दूसरी जगह जाने के बारे में सोचोगे। और फिर आप दूसरी जगह जाकर भी वही सब देखते हो जो आपने अपने पिछले आर्गेनाईजेशन में देखा था। यह एक सर्किल हैं और आप इसी में घूमते रहोगे और अपने काम से नफरत करने लगोगे।

3. Overtime :

भारत में लेबर लॉ के अनुसार आप किसी भी कर्मचारी से दिन के 9 घंटे और हफ्ते के 48 घंटो से ज्यादा काम नहीं करा सकते। अगर कोई आर्गेनाईजेशन या फर्म ऐसा करती हैं तो वो लेबर लॉ के विरुद्ध हैं। ये लॉ सिर्फ सरकारी कर्मचारियो के लिए ही नहीं बल्कि हर उस आर्गेनाईजेशन पे अप्लाई होता हैं जो भारत में रजिस्टर्ड हैं।

लेकिन फिर भी बहुत सारे आर्गेनाईजेशन या कहे प्राइवेट फर्म्स ऐसी हैं जहा कर्मचारी 10 से 12 घंटे की ड्यूटी प्रतिदिन हफ्ते के कम से कम 5 और कही तो 6 दिन काम करता हैं जिससे उसका वर्किंग ऑवर ऑफ़ वीक 48 ऑवर से भी ऊपर चला जाता हैं और उन्हें इसका कोई ओवरटाइम अमाउंट भी नहीं मिलता। कुछ कम्पनिया तो इस लॉ से बचने के लिए अपने कर्मचारी से वर्क फ्रॉम होम के नाम पे हफ्ते के सातो दिन काम करवाते हैं वो भी बिना किसी एक्स्ट्रा इंसेंटिव के। ऐसे ही टॉक्सिक कल्चर की वजह से लोग कई बार अपनी जॉब बदलते रहते हैं।

4. Toxic culture of office :

कई कर्मचारियो से बात करने पर ये भी चीज सामने आयी हैं कि कई बार वो अपने ऑफिस या फर्म में बहुत ज्यादा पॉलिटिक्स से परेशान होकर भी जॉब छोड़ देते हैं या छोड़ने का सोचते हैं।

ऐसे ही एक कर्मचारी से बात करने पर उसने बताया कि अगर आप बॉस के फेवरेट हो तो सब आसान होगा, आपको काम कम करने को मिलेगा, जब चाहोगे तब छुट्टी पे जा सकते हो। वही दूसरी और अगर आप बॉस के फेवरेट नहीं हो तो सबसे ज्यादा काम भी आप ही करोगे और सबसे ज्यादा लेक्चर भी आप ही सुनोगे।

लखनऊ के एक सरकारी दफ्तर में काम करने वाले विपुल (बदला हुआ नाम) की माने तो ज्यादातर सरकारी दफ्तरों में अगर आप काम कर रहे हो तो आप को और काम मिलेगा और अगर आप काम नहीं कर रहे हो तो भी आप से कोई कुछ नहीं कहेगा। विपुल कहते हैं कि भले वह इस वक्त सरकारी नौकरी में हैं मगर कभी कभी उनका भी मन करता हैं की यह जॉब छोड़ दे, जो कि उनके लिए करना मुश्किल हैं।

Conclusion:

कुल मिलाकर बात यह हैं कि हर कर्मचारी का अपना एक अलग कारण हो सकता हैं अपनी जॉब से नफरत करने का। और ऐसा नहीं हैं की यह सब सिर्फ इंडिया में ही होता हैं, ऐसा भारत से बाहर भी होता हैं बस फर्क इतना हैं की भारत में इसका Ratio बहुत ज्यादा हैं।

मेरा मानना अभी भी यही हैं की हालात को कुछ स्तर पर तो हम कण्ट्रोल कर सकते हैं जैसे की सोशल मीडिया वाला हिस्सा। ये हिस्सा बहुत बड़ा हैं और शायद ज्यादातर युवाओ का जॉब से नफरत करने का कारण भी। हम पर्सनल लेवल पर इसको सुधार सकते हैं। कम से कम मोबाइल का यूज़ करके। अगर आप इस जॉब और इससे नफरत वाले सर्किल में फसे हो तो ज़रूरी हैं इसे तोडना। लेकिन यह, जॉब छोड़कर नहीं बल्कि मोबाइल ज्यादा चलाने की आदत को छोड़कर होगा।

Disclaimer: All images are AI Generated and are only for representational purpose.

 

 

Exit mobile version