वैज्ञानिको को हाल ही में समंदर से 13,000 फ़ीट नीचे Dark Oxygen मिली हैं। आखिर क्या हैं मामला और कैसे बिना प्रकाश संश्लेषण के ऑक्सीजन हो रही हैं उत्पन्न?, आइये जानते हैं। –
देखिये हम सभी जानते हैं की पूरी दुनिया में ऑक्सीजन का एक ही स्रोत हैं और वो हैं Plants और Algae। पेड़ो के द्वारा होने वाली प्रकाशसंश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान ही वातावरण में ऑक्सीजन की उत्पत्ति होती हैं। पूरी मानव जाति और सभी सांस लेने वाले जीवो का जीवन भी इसी ऑक्सीजन पर टिका हैं।
लेकिन अब वैज्ञानिको को ऑक्सीजन के एक नए स्रोत का पता चला हैं जिसे Dark Oxygen का नाम दिया गया हैं। वैज्ञानिक इस खोज से अचंभित हैं क्यूंकि इसमें किसी भी तरह से सूर्यप्रकाश का उपयोग नहीं हो रहा हैं। बिना प्रकाशसंश्लेषण की प्रक्रिया के ऑक्सीजन का उत्पन्न होना वैज्ञानिको के लिए अचरज भरा हैं।
What is Dark Oxygen –
हाल ही में Nature Geo-science के Journal में बताया गया हैं कि, एक स्टडी में देखा गया हैं कि प्रशांत महासागर के CCZ यानि clarion-Clipper-ton जोन में समुद्र से लगभग 13,000 फ़ीट नीचे कुछ खनिजों से ऑक्सीजन उत्पन्न हो रही हैं, जिसे उन्होंने Dark Oxygen का नाम दिया हैं।
क्लेरियन-क्लिपरटन ज़ोन (CCZ) पर कोयले जैसी खनिज चट्टानें हैं, जिन्हें पॉलीमेटेलिक नोड्यूल कहा जाता है, जिनमें आम तौर पर मैंगनीज और लोहा होता है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि ये नोड्यूल प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के बिना ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं।
क्या हैं क्लेरियन-क्लिपरटन ज़ोन (CCZ) –
क्लेरियन-क्लिपर्टन ज़ोन या क्लेरियन-क्लिपर्टन फ्रैक्चर ज़ोन, प्रशांत महासागर का एक पर्यावरण प्रबंधन क्षेत्र है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय सीबेड अथॉरिटी (ISA) द्वारा प्रशासित किया जाता है। यह पूर्व से पश्चिम तक लगभग 4,500 मील (7,240 किमी) तक फैला हुआ है। मैंगनीज नोड्यूल की प्रचुर उपस्थिति के कारण CCZ को नियमित रूप से गहरे समुद्र में खनन के लिए माना जाता है।
कैसे मिली Dark Oxygen –
इसकी शुरुआत 2013 के एक मिशन से होती हैं। Scottish Association for Marine Science (SAMS) के प्रोफेसर Andrew Sweetman और उनकी टीम एक रिसर्च मिशन करती हैं जिसमे उनका मुख्य उद्देश्य था पता लगाना कि समुद्री तल पर कितनी ऑक्सीजन उत्पन्न हो रही हैं और साथ ही साथ पता लगाना की समुंद्र की गहराई में ऑक्सीजन कितनी कम हो रही हैं।
अब चूँकि ऑक्सीजन का एकमात्र जरिया प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया से हैं तो सीधा सा मतलब हैं कि समुद्र के ऊपर ऑक्सीजन लेवल ज्यादा होगा और जैसे जैसे समुद्र की गहरायी में जायेंगे तो ऑक्सीजन का लेवल और कम होता चला जायेगा। लेकिन इस रिसर्च में ऐसा हुआ नहीं।
Professor Sweetman और उनकी टीम ने पाया की लैंडर(Landers are used as platforms for various in situ measurements at the seafloor) जैसे जैसे समंदर की गहराई में जा रहा था, ऑक्सीजन का लेवल बढ़ता जा रहा था। पहले तो Sweetman को लगा की शायद उनके डिवाइस में कुछ प्रॉब्लम हैं क्यूंकि ये तो पॉसिबल ही नहीं हैं की गहराई में ऑक्सीजन की मात्रा इतनी ज्यादा हो तो उन्होंने डिवाइस को बार बार और कई बार Calibrate किया। वह लैंडर को सतह पर वापस लाये और डिवाइस चेंज किया की शायद डिवाइस में ही कोई समस्या हो। लेकिन रिजल्ट नहीं बदला।
Sweetman और उनकी टीम ने कई बार, कई सालो तक अलग अलग प्रयोग किये, मगर रिजल्ट वही रहा, लैंडर जैसे जैसे और गहराई में जाता, ऑक्सीजन का लेवल बढ़ता ही जा रहा था और फिर एक समय ऐसा आया जब उन्हें और उनकी टीम को यकीन हो गया कि डिवाइस खराब नहीं हैं बल्कि समंदर के अंदर कुछ हैं जिससे ऑक्सीजन उत्पन्न हो रही हैं।
Sweetman और उनकी टीम ने इसके बाद लैंडर को 13000 फ़ीट नीचे तक भेजा और पाया कि समंदर की सतह पर ऑक्सीजन की मात्रा सबसे अधिक हैं। कई और प्रयोग करने के बाद उनकी टीम को पता चलता हैं कि समंदर की निचली सतह पर Manganese Nodules बहुत अधिक मात्रा में मौजूद हैं और इन्ही Nodules से ऑक्सीजन उत्पन्न हो रही है।
Sweetman, Manganese Nodules को शिप पर ले आते हैं, उस पर प्रयोग करते हैं , कई प्रयोगो के बाद पता चलता हैं की इन Nodules में विद्युत आवेश था एक AA बैटरी के बराबर का।
लैब में एक एक्सपेरिमेंट के दौरान उन्हें पता चला की Seawater Electrolysis की प्रक्रिया की वजह से इन Nodules में मौजूद चार्ज, Seawater को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में तोड़ देता हैं और इसी प्रक्रिया की वजह से इन Nodules से ऑक्सीजन उत्पन्न होती हैं।
क्या हैं इस खोज के मायने-
किसी भी खोज को सच मानने से पहले उसको कई बार परखा जाना तय हैं। और ऐसा Dark Oxygen के केस में भी होने वाला हैं। लेकिन फिर भी बिना प्रकाश के या प्रकाशसंश्लेषण के ऑक्सीजन मिलना वाकई एक अकल्पनीय खोज हैं।
यह खोज जवाब कम और सवाल ज्यादा लेकर आती हैं। जीवन की शुरुआत कैसे हुई ?, क्या अभी तक जो भी हम जीवन की उत्पत्ति से सम्बंधित तथ्य मानते आये हैं वो सच हैं भी या नहीं ?
इससे एक सवाल और खड़ा होता हैं और वह हैं इंसानी अस्तित्व का। अभी तक हम यही सोचते आये हैं की बिना सूरज की किरणों के पेड़, ऑक्सीजन उत्पन्न नहीं कर सकते जिसका मतलब हमारा अस्तित्व सूर्य से बंधा हैं। इस खोज के बाद लगता हैं की कही ये हमारे द्वारा माना हुआ एक वक्तव्य बस तो नहीं। खनिजों से उत्पन्न ऑक्सीजन क्या हमारे अस्तित्व से पहले से हैं, तो क्या हमारे सिवा भी कभी किसी का अस्तित्व रहा हैं जो इससे सम्बंधित हो।
इस खोज के बाद जरुरी है की तुरंत ही समुद्री खनिजों पर हो रहे खनन पर रोक लगे, इससे पहले की हम सभी खनिजों का विनाश कर दे। डार्क ऑक्सीजन एक तरह का नेचुरल रिसोर्स हैं जो हमें बिना सूर्य की किरण और बिना प्रकाश संश्लेषण के मिल रही हैं।
इस खोज के बाद लगता हैं की ऑक्सीजन हमें दूसरे ग्रहो पर भी मिल सकती हैं। हो सकता हैं दूसरे ग्रहो पर भी इसी तरह के कई और खनिज मिल जाये जिनसे ऑक्सीजन उत्पन्न हो। यह खोज सम्भावनाये बढ़ाने वाली खोज हैं।